पेंशनर के जीपीएफ वसूली के संबंध में हाईकोर्ट में सुनाया फैसला

बिलासपुर हाईकोर्ट ने रिटायर कर्मचारियों के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। एक याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि रिटायरमेंट के 6 माह बाद जीपीएफ से वसूली नहीं की जा सकती। दरअसल समता नगर, गौरेला निवासी हृदयनारायण शुक्ला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, गौरेला, जिला-गौरेला, पेण्ड्रा, मरवाही में स्वास्थ्य विभाग में पर्यवेक्षक (पुरूष) के पद पर पदस्थ थे। 62 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर खण्ड चिकित्सा अधिकारी, गौरेला द्वारा उन्हें दिनांक 30 जून 2020 को सेवानिवृत्त कर दिया गया।
सेवानिवृत्ति के 09 (नौ) माह पश्चात् वरिष्ठ लेखा अधिकारी, कार्यालय महालेखाकार द्वारा हृदयनारायण शुक्ला के जी.पी.एफ. राशि से अधिक वेतन की निकासी बतातें हुये उनके जी.पी.एफ. एकाउन्ट में ऋणात्मक शेष बताते हुये उनके विरूद्ध वसूली आदेश जारी कर दिया गया। उक्त वसूली आदेश को हृदयनारायण शुक्ला द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वाति सराफ के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर वसूली आदेश को चुनौती दी गई।

हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वाति सराफ द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि छत्तीसगढ़ सामान्य भविष्यनिधि नियम 1955 के उपनियम 14 (7) एवं छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के उपनियम 65 एवं 66 इसके साथ ही उपनियम 66 (3) (a) में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई शासकीय अधिकारी/कर्मचारी द्वारा अपने सेवाकाल के दौरान सामान्य भविष्य निधि खाता (जी.पी.एफ.) से अपने व्यक्तिगत कार्य हेतु पैसा निकालता है एवं यदि उस शासकीय अधिकारी/कर्मचारी के जी.पी.एफ. खाते में ऋणात्मक शेष है तो उक्त ऋणात्मक शेष राशि की वसूली सेवानिवृत्ति से पूर्व या सेवानिवृत्ति के पश्चात् सिर्फ 06 (छः) माह तक की अवधि में ही दूसली किया जा सकता है।
सेवानिवृत्ति दिनांक से 06 (छः) माह से अधिक की अवधि व्यतीत हो जाने पर जी.पी.एफ. राशि में ऋणात्मक शेष बताते हुये किसी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है। चूंकि याचिकाकर्ता के मामले में उसके सेवानिवृत्ति दिनांक से 09 (नौ) माह पश्चात् कार्यालय महालेखाकार, रायपुर द्वारा याचिकाकर्ता के जी.पी.एफ. खाते में ऋणात्मक शेष बताते हुये वसूली आदेश जारी किया गया जो कि छत्तीसगढ़ सामान्य भविष्यनिधि नियम 1955 के उपनियम 14 (7) एवं छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के उपनियम 65 एवं 66 इसके साथ ही उपनियम 66(3) (a) का घोर उल्लंघन है।
उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका को स्वीकार करते हुये याचिकाकर्ता के विरुद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त कर कार्यालय महालेखाकार, रायपुर को यह निर्देशित किया गया कि वे याचिकाकर्ता के सम्पूर्ण बकाया सामान्य भविष्य निधि (जी.पी.एफ.) राशि का तत्काल भुगतान करें।

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