सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति होगी दूर

रायपुर –

आगामी 3 मार्च को राज्य सरकार प्रदेश का बजट पेश करने जा रही है। प्रदेश के वित्तमंत्री ओपी चौधरी सरकार का दूसरा बजट पेश करेंगे।
इस बजट से प्रदेश के एलबी संवर्ग शिक्षकों को बड़ी उम्मीदें है। एक ओर जहां सहायक शिक्षकों को अपनी वेतन विसंगति दूर होने की उम्मीदें हैं, वहीं दूसरी ओर 1,80,000 एलबी संवर्ग शिक्षकों को प्रथम सेवा गणना कर समस्त लाभ मिलने की उम्मीदें हैं।
प्रदेश के सहायक शिक्षक विगत 2018 से अपने वेतन विगति दूर करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। परंतु आज तक वेतन संगति दूर नहीं हुई है।
2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने एवं एलबी संवर्ग शिक्षकों को सेवागणना कर क्रमोन्नति वेतनमान सहित सभी लाभ देने का वादा किया है। इसे पार्टी ने मोदी की गारंटी नाम दिया है।
लेकिन उक्त वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इस बार एलबी संवर्ग के शिक्षकों को वेतन विसंगति दूर होने एवं प्रथम सेवागणना कर क्रमोन्नति वेतनमान और पुरानी पेंशन देते हुए समस्त लाभ मिलने की काफी ज्यादा उम्मीदें है।
इसी कड़ी में शिक्षक एलबी संवर्ग छत्तीसगढ़ एवं छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक मंच के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू ने प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री माननीय अरुण साव एवं माननीय विजय शर्मा, वित्तमंत्री माननीय ओपी चौधरी एवं राज्य के सभी 90 माननीय विधायकों को पत्र लिखते हुए यह मांग किया है कि शिक्षकों की मांगों को आगामी 3 मार्च को पेश होने वाले बजट में पूरा किया जाए।
साथ ही उक्त वार्षिक बजट में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने एवं सेवा गणना की मांग बजट में प्रावधान रखने की मांग की है। शिक्षक नेता जाकेश साहू ने बताया कि वेतन विसंगति दूर नहीं होने के कारण प्रत्येक सहायक शिक्षक को आज बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 1998 में दो सहायक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। जिसमें एक सहायक शिक्षक का सौभाग्य से पदोन्नति हो गया और वह व्याख्याता बन गया।
व्याख्याता को आज 80,000 के आसपास वेतन मिल रहा है। परंतु जिन सहायक शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हुआ, जो अभी-अभी 2021-22 में प्राथमिक हेडमास्टर व उच्च वर्ग शिक्षक बने हैं उन्हें मात्र 50 से 55,000 तक का ही वेतन मिल रहा है।
जबकि दोनों एक ही वर्ग के हैं। एक ही बैच के हैं। इसके विपरीत नियमित शिक्षकों में एक ही बैच के दो सहायक शिक्षक नियुक्त हुए थे। एक सहायक शिक्षक पदोन्नति होकर व्याख्याता बन गए। जबकि दूसरा अभी प्राथमिक शाला में हेडमास्टर है और दोनों नियमित शिक्षकों का वेतन लगभग एक समान है।
शिक्षक नेताओं का यह कहना है कि जब नियमित शिक्षकों का वेतन समान है तो एलबी संवर्ग शिक्षकों के वेतन में इतना भेदभाव आखिर क्यों ….????
ठीक इसी प्रकार शिक्षक एलबी संवर्ग का संविलियन 2018 में हुआ। तत्कालीन राज्य सरकार ने 1998 से लेकर 2018 तक की सभी पुरानी सेवाओं को मूलतः रद्द कर शून्य घोषित कर दिया तथा 2018 से एलबी संवर्ग शिक्षकों को सांवलियन तिथि से ही उनकी सेवाओं की गणना की जा रही है। जिसके कारण शिक्षक एलबी संवर्ग को पुरानी पेंशन का लाभ बिल्कुल भी नहीं मिल रहा। जबकि राज्य में पुरानी पेंशन लागू है।
2005 से केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन को खत्म कर दिया था। लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने 2018 से राज्य में पुरानी पेंशन को यथावत लागू किया। इसके बाद सभी विभागों के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलने लगा है। परंतु शिक्षकों को 2018 की संविलियां तिथि से उनकी सेवाओं की गणना किए जाने के कारण पुरानी सेवाओं की गणना नहीं की जा रही है। जिसके कारण पुरानी पेंशन का लाभ शिक्षकों को नहीं मिल रहा है।
साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ भी नहीं मिल रहा है। इसी मामले में शिक्षक नेता जाकेश साहू ने अपने संगठन की ओर से राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए एलबी संवर्ग शिक्षकों की समस्त समस्याओं का समाधान 3 मार्च को पेश होने वाले बजट में करने की मांग की है।

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